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लेखक:

शिवानंद कामड़े

शिवानंद कामड़े हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता के चिर-परिचित हस्ताक्षर होने के साथ ही कला, कार्टून एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र की भी प्रख्यात हस्ती थे। सन्‌ 2021 के मई माह में, कोरोना के कारण असामयिक निधन से पूर्व, वे सिविल इंजीनियरिंग शासकीय पोलिटेक्नि, दुर्ग, छत्तीसगढ़ में प्राध्यापकी के पेशे में थे। भारत की मुख्य धारा सिनेमा से लेकर क्षेत्रीय सिनेमा तक में आपकी सृजनधर्मिता अलग से रेखांकित करने के योग्य है। देश की पहली बोलती फिल्‍म ‘आलमआरा’ पर आपकी पुस्तक सिने विधा की एक अप्रतिम कृति मानी जाती है। फिल्‍म की नायिका, जुबैदा पर भी आपकी पुस्तक प्रकाशित हुई, जो काफी चर्चित रही। आपकी लगभग 88 पुस्तकें प्रकाशित हुईं, जिनमें से अनेक पुरस्कृत हुई। आपको चार राष्ट्रीय पुरस्कार सहित अनेकानेक अन्य सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए। यायावरी प्रकृति के होने के कारण देश और विदेशों की आपकी अनेक यात्राएँ हुई। अपनी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्रा-क्रम में आप मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मॉरीशस, हांगकांग तथा नेपाल आदि देशों में गए। विदेशों में आपकी सिनेमा एवं गांधी पर प्रदर्शनी को प्रभूत सराहना प्राप्त हुई।

चरखायन

शिवानंद कामड़े

मूल्य: Rs. 155

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